उम्र के गलियारे में कुलाचे मारते हुए ,
जन्म दिवस का पड़ाव आया.
हल्दी की पोटली ने हाथो को ,
नव परिधानों ने तन को सजाया.
चलो इस पावन बेला में मन को भी सजा लो ,
जिसने जना है उनको शीष नवा लो.
इस बार जन्मदिवस कुछ ऐसे मनाना,
स्वयं से परे किसी की दुनिया सजाना
गौ माता की थोड़ी सी सेवा करना ,
तैतीस करोड़ देवो का आशीष पाना.
आनंद जो मिलेगा फूले नहीं समाओगे ,
हर घडी , पल छिन को जन्म दिवस पाओगे .
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नरेन्द्र पन्त
जून २८ ,२०१०
1 comments:
अच्छी सलाह!
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